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हिंदी मेरी प्रेमिका (दोह ग़ज़ल)




हिंदी मेरी प्रेमिका (दोह ग़ज़ल)


हिंदी मेरी प्रेमिका, हिंदी से है प्यार।

हिंदी मेरी जीवनी, यह उत्तम पतवार।।


हिंदी जेहन में सतत,करती नित्य निवास।

हिंदी पावन भाव से, करती आत्मोद्धार।।


हिंदी मोहक मंत्रमय, हो इसका ही जाप।

हिंदी सुखदा सभ्यता,का हो जग-विस्तार।।


सर्वगुणी सम्पन्न अमि,हिंदी मीठे बोल।

हिंदी में संवाद कर,रच मोहक संसार।।


हिंदी को मत छोड़ना, कभी न जाना दूर।

स्वस्भिमान से युक्त हो, दो हिंदी को धार।।


लोचदार कमनीय प्रिय, बहुत मधुर यह बोल।

हिंदी को कंठस्थ कर, जग को दो ललकार।।


यह अति मोहक भाव -मन,मस्तक उन्नतशील।

हिंदी के प्रिय हृदय में, मानव का लीलार।।


हिंदी लेखन है सहज, अति ऊर्जा का स्रोत।

हिंदी लिख-पढ़ कर मनुज, बनता रचनाकार।।


जिसको हिंदी आ गयी, बना जगत का शेर।

हिंदी पूरे विश्व में, सदा भरे हुंकार।।


हिंदी से ही प्रीति हो, कर हिंदी का ज्ञान।

हिंदी बोलो प्रेम से, निःसंकोच प्रचार।।


मानवता संवेदना,को हिंदी में देख।

बहु मूल्यों की संपदा, के हिंदी में तार।।


हिंदी मानववाद है, हिंदी चेतनशील ।

हिंदी पावन गेह में, रहता शुद्ध विचार।।


हिंदी जिसकी धड़कनें,वह अतिमानव दिव्य।

हिंदी में रहता सदा,सुंदरता का सार।।


हिंदी कोमल मधुर उर, हिंदी संज्ञासिद्ध।। 

हिंदी में सद्ज्ञान है, प्रेमसिंधु का ज्वार।।


हिंदी बौद्धिक अति सुघर, दिव्य लोक प्रिय धाम।

हिंदी में रहता सदा, प्रिय-मानव-संसार।।


प्रियता -मधु -माधुर्य का, हिंदी अनुपम देश।

हिंदी कहती जगत से, मानव का उद्गार।।


हिंदी मायातीत है,परमेश्वरमय जान।

हिंदी जीवन-शैल की, महिमा अपरंपार।।


सद्भावों के मेल में, हिंदी दर्शन योग्य।

हिंदी -मेल-मिलाप से, कर जीवन-भव पार।।





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1 Comments

Renu

23-Jan-2023 05:00 PM

👍👍🌺

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